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ग़ाज़ा में सीज़फायर की शर्तें , और उनसे उम्मीद

सीज़फायर की शराइत क्या हैं?

सीज़फायर को 3 मराहिल (चरणों) में पूरा किया जाना है। दूसरे और तीसरे मरहले की शराइत पर इत्तेफ़ाक़ के लिए पहले मरहले के दौरान मुझाकरात (वार्ता) जारी रहेंगी।

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पहला मरहला:

  • अब शुरू हो चुका है और 6 हफ़्तों तक चलेगा।
  • इंसानी मदद: इंडियन मुस्लिम नेटवर्क समेत कई इमदादी तंजीमें उम्मीद कर रही हैं कि ग़ज़ा में बड़ी हद तक इंसानी मदद की रसाई (पहुंच) होगी।
  • बंधकों की रिहाई: कुछ बंधकों को इसराइल की जेलों में बंद फलस्तीनी क़ैदियों के बदले रिहा किया जा रहा है।
  • फौज की वापसी: इसराइल अपनी फौजों को ग़ज़ा की सरहद (सीमा) तक धीरे-धीरे वापस बुलाएगा।
  • बेघर लोगों की वापसी: ग़ज़ा के बेघर अफराद (लोग) अपने मोहल्लों में लौट सकेंगे।
  • इमदादी ट्रक: सैंकड़ों इमदादी ट्रक हर रोज़ ग़ज़ा पहुंच सकेंगे।

दूसरा मरहला:

  • मुकम्मल अमन: जंग का मुकम्मल (पूरी तरह) खात्मा होगा।
  • फौज की मुकम्मल वापसी: इसराइली फौजें ग़ज़ा से पूरी तरह वापस चली जाएंगी।
  • बंधकों की रिहाई: बाक़ी बंधकों को इसराइल के क़ैदियों के बदले रिहा किया जाएगा।

तीसरा मरहला:

  • ग़ज़ा की तामीर-ए-नौ (पुनर्निर्माण):
    • तामीर का अमल बरसों या दशकों तक जारी रह सकता है।
    • इंडियन मुस्लिम नेटवर्क, जिसने बरसों की नाकाबंदी और फौजी तसादुम (सैनिक झड़पों) के दौरान ग़ज़ा में इमदादी काम किया है, फलस्तीनियों की मदद के लिए पुरअज़्म (प्रतिबद्ध) है।
    • मकसद: तबाह (बर्बाद) हुए इलाकों और जिंदगी को दोबारा संवारना।

Azmat Khan

A successful writer proficient in presenting news and opinions in Hindi. Their research and expertise help in delivering news content with strength and clarity.

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