सात फूल जैसे बच्चों के पैर अलग किए गए बिना ऐनेस्थीसिया के ।

IMN की तरफ़ से ग़ाज़ा में ख़िदमत कर रहे डॉक्टर सलीम खान ने हमें कुछ तस्वीरें भेजी हैं… और हम चाहकर भी उन्हें देख नहीं पा रहे। हाथ कांप रहे हैं, आँखें भर आई हैं, दिल दर्द से भर गया है। ये सिर्फ़ तस्वीरें नहीं हैं, ये दर्द का वो मंज़र है जो हर ज़िंदा इंसान के सीने में नश्तर की तरह उतर जाए।
सात फूल हैं जिनकी टांगें जिस्म से अलग होनी हैं मगर किसी सुन्न करने वाली दवा के बगैर
आज, IMN ग़ाज़ा यूनिट ने 34 एनेस्थीसिया इंजेक्शन बड़ी मुश्किल से अरेंज किए हैं। मगर सोचिए, जब दर्द अपनी इंतिहा पर हो और इंसान को कोई राहत न मिले?
7 मासूम फूल हैं… हाँ, बच्चे! छोटे-छोटे नन्हे हाथ, जो अभी माँ की उंगलियाँ पकड़ना भी सही से नहीं सीखे थे। 7 बच्चों को… बिना एनेस्थीसिया (सुन्न करने वाली दवा) के ऑपरेट किया गया। बिना सुन्न किए, बिना दर्द से राहत दिए, उनकी टांगें जिस्म से अलग करना पड़ी ।
ज़रा ठहरिए… आँखें बंद करिए और सोचिए… अगर आपका एक नाख़ून भी बिना सुन्न किए उखाड़ दिया जाए तो क्या होगा? हम हल्की सी सूई चुभने पर चीख़ पड़ते हैं, और यहाँ… ये बच्चे पूरी टांग कटने पर कितना चीखे हैं, हम वो आपको दिखा भी नहीं सकते।
क्या इस दुनिया का कोई दर्द इससे बड़ा हो सकता है?
क्या सब्र की कोई और इंतिहा हो सकती है?
एक उम्मत बन के दिखाइए ।
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